सत्य घटना पर आधारित लेख

 


 


सत्य घटना पर आधारित लेख 



कितना जल्लाद है ये आदमी जिसने खुद ही अपनी पत्नी का सर उसके धड़ से अलग कर दिया। कैसा है यह व्यक्ति जिसकी, यह काम करते हुए ना तो उसकी रूह काँपी और ना ही उसके हाथ काँपे। 


इस व्यक्ति की हिम्मत तो देखो, अपनी पत्नी का सर धड़ से अलग तो किया ही और उसके सर को लेकर पुलिस थाने भी पहुँच गया। ऐसा प्रतीत हो रहा है इस तस्वीर को देखकर, जैसे इस व्यक्ति को अपने इस कांड को करने पर कोई पछतावा ही नहीं है, कोई दुख तकलीफ ही नहीं है उसे ये कांड करने के उपरान्त। 


ना जाने ऐसे व्यक्ति इतनी बेरहमी से, अपने ही हाथों, अपने, अपनों की ही हत्या करने की, उन्हें मौत के घाट पहुँचाने की, उनका सर धड़ से अलग करने की हिम्मत कहाँ से ले आते हैं? 


क्यों ऐसे दरिंदे समान व्यक्तियों का, ऐसा काम करते हुए ज़रा सा भी दिल नहीं दहलता? क्यों ऐसे लोग इस तरह के खौफ़नाक कांड करते हुए,  यह भूल जाते हैं कि उस विधाता, यानी ऊपर वाले की निगाह-दृष्टि उसपर भी है। विधाता सब देख रहा है,ऊपर बैठे-बैठे भी और वह उसके एक-एक कर्म का हिसाब रख रहा है? 


क्यों ऐसे व्यक्ति इस कहावत को भूल जाते हैं कि जो जैसा करता है, वो वैसा ही भरता भी है? अगले पिछले सब कर्मों का फल इसी धरती पे ही भुगतना होता है। जितनी दर्दनाक मौत वे किसी को दे रहे हैं, उससे भी कहीं अधिक दर्दनाक मौत विधाता उसको देगा, जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की होगी और ना ही कर सकते हैं। विधाता उस व्यक्ति की पत्नी की आत्मा को शांति प्रदान करें आमीन।


इस सत्य घटना के मंज़र की तस्वीर देखकर तो मेरे जिस्म के रौंगटे ही खड़े हो गए। तस्वीर में ही यह मंज़र इतना भयानक भरा दिख रहा है और दिल में एक दहशत सी उत्पन्न कर रहा है, तो हकीकत में मौकाय-वारदात पर जिन-जिन लोगों ने ये मंज़र देखा होगा, उनके दिलों में कितनी दहशत उत्पन्न हुई होगी और उन्हें कितना भयानक लगा होगा ये मंज़र।


ऐसे दरिंदे व्यक्तियों को जीने का कोई हक नहीं है, इन्हें तो फांसी की सज़ा मिलनी चाहिए। 


रौशनी अरोड़ा "रश्मि"